हम सभी जानते हैं कि दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है भारत जिसमें बहुत सारे विश्व विख्यात मंदिर या फिर अनेक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। भारत में बहुत सारे सभी धर्मों के तरह-तरह के धार्मिक स्थल हैं जिसमें से एक खास मंदिर के बारे में आज हम आप सभी को बताने जा रहें हैं। जो झारखण्ड का एक बहुत ही प्रशिद्ध मंदिर है, इस मंदिर का नाम है - बाबा टांगीनाथ धाम।
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बाबा टांगीनाथ धाम, गुमला |
कहाॅं पर अवस्थित है बाबा टांगीनाथ धाम ?
बाबा टांगीनाथ धाम गुमला जिला के डुमरी प्रखंड में स्थित है। यह धार्मिक स्थल गुमला जिला के जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर है।
- Nearest Airport :- Ranchi Airport
- Nearest Railway Station :- Ranchi & Hatia Railway Station
- Nearest Bus Stand :- Gumla Bus Stand.
यहाॅं जाने के लिए आप बस या कार से आसानी से जा सकते हैं।
बाबा टांगीनाथ धाम की कहानी-
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बाबा टांगीनाथ धाम, गुमला |
बाबा टांगीनाथ धाम एक पुरातात्विक स्थल है। यहां पर बहुत सारे शिवलिंग मौजूद हैं। डूंमरी प्रखंड में स्थित प्राचीन टांगीनाथ धाम मंदिर अपने अंदर कोई ऐतिहासिक धरोहर छुपाए हुए हैं। यह धार्मिक स्थल अपने गर्भ में प्राचीन भारत का इतिहास छिपाए हुए हैं। यह स्थल है जहां भारत के इतिहास के प्राचीनतम स्तंभ पुरुष भगवान से संबंधित है।
🔵पहली कहानी :-
इसकी पहली कथा के अनुसार एक बार शनिदेव को उनके अपराध के लिए शिवजी ने अपने त्रिशूल फेंक कर लक्ष्य भेद किया था। यह त्रिशूल आज भी मंदिर परिसर में जस के तस गड़ा हुआ है। यहां पर एक बहुत बड़ा आकार का त्रिशूल है जिसमें आज तक जंग नहीं लगा है।
🔴दुसरी कहानी :-
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बाबा टांगीनाथ धाम, गुमला |
इसकी दूसरी कथा के अनुसार पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इस मंदिर पर जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं वह जरूर पूरी होती है। इस मंदिर पर लोग पूरी आशा और विश्वास के साथ आते-जाते हैं। लोगों के अनुसार जो यहां पर किसी भी प्रकार से भटका हुआ मन वाले व्यक्ति आता है तो उसका मन एकदम शांत हो जाता है।
🟢तीसरी कहानी :-
जनश्रुति के अनुसार उक्त त्रिशूल को वहां के लोहरा जाति के लोगों ने चुरा कर ले जाने का प्रयास किया था, लेकिन उस त्रिशूल के अंत तक उनलोग खोद कर नहीं पहुंच सके। जब इस बात का खुलासा हुआ की शिव का इस विशालकाय त्रिशूल को लोहरा लोगों के द्वारा चोरी किया जा रहा था तब उनलोगों को बहुत ही भारी कीमत चुकानी पड़ी। यहां पर मंदिर के इलाके से 10 से 15 किलोमीटर की परिधि पर कोई लोहरा जाति के लोग निवास नहीं करते हैं।
कैसे हुआ इस मंदिर का निर्माण ?
यह धार्मिक स्थल एक बहुत बड़ा किला में अवस्थित है। मंदिर का मुख्य द्वार पर नौ ग्रहों के देवताओं के चित्र की सहजता से अवलोकन किया जा सकता है। जिस स्थान पर भगवान शिव का त्रिशूल गड़ा हुआ है वहां पर पूर्व काल में बहुत सारे चंदन वृक्ष लगे हुए थे। इस जगह पर बहुत सारे शिवलिंग भरे पड़े हैं।
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बाबा टांगीनाथ धाम, गुमला |
भगवान शिव को अनेक नामों से जाना जाता है जिसमें से ये भी एक है। यहां के स्थानीय लोग अपनी भाषा में टांगीनाथ शिव बाबा कहते हैं। झारखंड के पौराणिक नामों में से एक नाम कीकट प्रदेश है।
यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर शाश्वत है और स्वयं विश्वकर्मा भगवान द्वारा रचित है, लेकिन वर्तमान में यह जगह एक खंडहर बना हुआ है । इसके बारे में अनेक - अनेक बातें हैं।
इतिहासकारों के अनुसार इससे अनेक तरीकों से प्रस्तुत किया गया है जिसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जब इस मंदिर की पुनरुद्धार किया जाने लगा तो खुदाई में जमीन के अंदर से कोई प्रकार के ईंटें, हीरा जड़ित आभूषण , सोना चांदी के आभूषण, चांदी व तांबे के सिक्के भी बहुत सारे मिले हैं। एक आभूषण में 21 हीरे जुड़े हुए हैं इस स्थान पर जितने भी हीरे-मोती, सोना - चांदी मिले थे वे सभी नजदीकी डुमरी थाना के हजात में सुरक्षित रखा हुआ है।
इस मंदिर का बेहद ही खास बात-
इस स्थल पर शिवरात्रि और मकर सक्रांति के शुभ अवसर पर बहुत ही बड़ा मेला लगता है . जो कि गुमला का बहुत ही प्रसिद्ध मेला है। इस स्थान की सबसे खास बात तो यह है कि यह मंदिर ऐसे जगह पर अवस्थित है, जहां पर वातावरण हमेशा शांत रहता है । यहां पर जो भी व्यक्ति एक बार आता है वह दोबारा भी जरूर आता है क्योंकि ये स्थान यहां पर आने वाले लोगों का मन को जीत लेता है।
निष्कर्ष -
आज के इस Article में हमने आपको बताया कि- बाबा टांगीनाथ धाम कहां पर स्थित है ?, इसका निर्माण कौन किया है ?, टांगीनाथ धाम का क्या खास बातें हैं ?, तथा बहुत सारे इससे जुड़ी हुई कहानियां भी साझा किए।
तो ये जानकारी आपको कैसी लगी आप हमें Comments में बता सकते हैं तथा पसंद आई तो अपने दोस्तों को भी Share कर सकते हैं। साथ ही साथ हमारी हर Post की जानकारी सबसे पहले पाने के लिए Subscribe Box में अपना Email Id डाल कर Subscribe कर सकते हैं।
Very good
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