दशम फॉल | Dasam Fall | Ranchi Ki shaan

जोहार दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही Popular Falls के बारे बताने जा रहे हैं, जो  झारखंड राज्य के प्रमुख जलप्रपातों में से एक है। झारखण्ड एक सुन्दर प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों को अपने आंचल में समेटा राज्य है। यहाँ पर अनेकों सुन्दर -सुन्दर मंदिर , झरने, डैम आदि पर्यटन स्थल हैं।  उन्ही में से एक है - दशम फाॅल (Dasam Fall) , जो राँची के घने जंगलों तथा प्राकृतिक छटाओं के बीच अवस्थित है। ये  झारखंड के Top 3 Papular Falls में शामिल है । 

दशम फॉल | Dasam Fall | Ranchi Ki shaan
दशम फॉल | Dasam Fall | Ranchi Ki shaan

तो आइए आज के इस Article में हम जानते हैं - दशम फॉल कहां है?, दशम फॉल का नाम दशम कैसे पड़ा ?, दशम जलप्रपात में क्या सावधानी बरतना बेहद जरूरी है? अब इसके बारे पूरे विस्तार से जानते हैं।

दशम फॉल (Dasam Fall) कहाॅं पर स्थित है ?

दशम फॉल ( Dasam Fall ) झारखण्ड की राजधानी - राँची से करीब 35 Km दूर दक्षिण - पूर्व (South - East), बुण्डू से करीब 20 km तैमारा थाने के पानसाकाम गांव में कांची नदी पर स्थित है। यहाँ की सुंदरता देखते ही बनती है यह झरना सुन्दर वनों के बीच स्थित है। यहाँ का वातावरण लोगों को एक सुकून प्रदान करती है। 

Dasam Fall-Ranchi Ki shaan

लगभग ऊंचाई 144 फीट ( 44 m) की उंचाई से गिरता पानी देखने में मन को एक अलग ही सुखद अनुभूति प्रदान करता है। दशम फॉल ( Dasam Fall ) झारखंड राज्य के प्रमुख फाॅलों में से एक है। ये फाॅल घने जंगलों तथा प्राकृतिक छटाओं के बीच अवस्थित है।  

दशम फॉल का नाम दशम कैसे पड़ा ?

दशम फॉल का नामकरण एक मुंडारी भाषा के शब्द "दासंग" के कारण हुआ है। "दासंग" मुंडारी भाषा के दो शब्दों के मेल से बना है - दा + संग , जिसमें "दा" का अर्थ है - पानी और "संग" का अर्थ है - ऊपर से गिरकर निकलना । यही शब्द बाद में परिस्कृत होकर - दशम में परिवर्तित हो गया और हिंदी तथा संस्कृत के दशम शब्द से जाना जाने लगा। 

 कुछ लोग कहते हैं कि पहले दशम फॉल में दस धाराएं हुआ करती थीं, दसों धाराएँ एक ही स्थान पर मिलकर गिरती थी , इस कारण भी इसका नाम दशम पड़ा है । 

कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मुण्डारी भाषा में पानी को 'दा' और स्वच्छ को 'सोअ' कहते हैं, जिसका मतलब होता है - झरने से गिरता हुआ निर्मल पानी बड़ा ही स्वच्छ दिखता  है। स्वच्छ पानी का झरना पहले 'दासोअ' फिर से 'दासोम' और अंत  में 'दशम ' में परिवर्तित हो गया। यहाँ की स्थानीय भाषा में लोग इसे सभी - दासोम के नाम से ही जानते हैं। 

दशम फॉल में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं ?

जाड़े का मौसम पर्यटन के लिए बहुत ही उपयुक्त होता है इसलिए दशम फॉल में जाडे क़े दिनों में अधिक पर्यटक आते हैं। वैसे तो यहां हर रोज कुछ न कुछ लोग आते ही रहते हैं। रविवार या छुट्टियों के दिन पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक होती है। जनवरी से अप्रैल के बीच का समय दशम फॉल घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। 


Dasam Fall-Ranchi Ki shaan


जनवरी से अप्रैल के बीच दशम फॉल में गिरते हुवे पानी को देखा जा सकता है , परन्तु किसी - किसी वर्ष यहाँ का पानी समय से पहले नदी में पानी नहीं होने के कारण सुख जाता है। बरसात के दिनों में तो ये झरना विकराल रूप ले लेता है , यहाँ से गिरते पानी की आवाज उन दिनों बहुत डराती है। बरसात के दिनों में भी दशम फॉल में बने View Point से यहाँ के सुन्दर दृश्य को देखा जा सकता है। 

इसे दशम घाघ के रूप में भी जाना जाता है। यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से चारों ओर से घिरा हुआ है। धीरे-धीरे यहां पर पर्यटकों के आने की संख्या बढ़ रही है और उन्हें कई तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है।

फाॅल के आस - पास छोटे -छोटे दुकानें हैं जिनमें कुछ ज़रूरी चीजें मिल जाते  हैं । उसके अलावे और भी कुछ दुकानें हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के गांवों में बनने वाले समान मिलता है। कुछ दुकानें हैं जिसमें देसी खाना भी मिलता है जैसे - छिलका रोटी, मड़ूवा रोटी, धूसका , खापरा पिठा - जिसे आप झारखंडी मोमों भी कह सकते हैैं। , इसके अलावा फल - फूल भी मिलता है ।                                        

दशम फॉल की कुछ विशेष जानकारी- 

इस क्षेत्र में विशेष कर लाह का उत्पादन बहुत अधिक होता है। कहा जाता है कि झारखंड की पूरे 36% लाह इसी क्षेत्र में उत्पन्न होती है। पलास, बेर, कुसुम के अलावा और चार - पांच प्रजाति के वृक्षों पर भी लाह की खेती होती है। सफलता से लाह का फसल उगा लेने वाला किसान इतना पैसा जुटा लेता है की वर्ष भर के लिए वो खुशहाल हो जाते हैं।

दशम फॉल के चारों तरफ़ लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में रास्ते के किनारे और आसपास के गांवों में मुख्य रूप से सिर्फ मुण्डा आदिवासी बसे हुए हैं। लेकिन अब लगभग 40%  इस आदिम जनजाति ( मुंडा, उरांव ) के सदस्यों ने धर्म परिवर्तिन कर ईसाई धर्म को अपना लिया है। 

ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के बाद भी इनका संस्कृति में अधिक बदलाव देखने को नहीं मिलता है , ये मुण्डारी तथा हो भाषा ही बोलते हैं। बाहरी लोगों से ये सदानी ( हिंदी का टुटी - फूटी भाषा ) में बोलते हैं, लेकिन हिन्दी भाषा  सभी आदिवासी नहीं बोल पाते हैं। 

Dasam Fall-Ranchi Ki shaan

लाह के अलावा ये लोग मड़ूआ, बाजरा, सरगुजा आदि की खेती करते हैं। यहां सीढ़ीनुमा खेतों में पौधों की हरियाली देखते ही बनती है। 

साथ ही साल, सिद्धा, केंदू आदि वृक्षों से घिरे वन के बीचों - बीच एक सुन्दर झरना बसा हुआ है। इस झारना का नजारा देखने के लिए रास्ते में कुछ-कुछ दूरी पर रेलिंगयुक्त प्लेटफार्म तथा नीचे उतरने के लिए रेलिंगयुक्त सीढ़ी बने हुए हैं।

जंगल और पहाड़ियों के बीच से कांची नदी बहती है, जो यहां आकर काफी ऊंचाई से लगभग 144 फीट ( 44 m) की ऊंचाई से गिर कर आगे बढ ज़ाती है। इतनी ऊंचाई से भी अगर नदी का पानी यदि सीधे गिरता तो उतना आकर्षक नहीं लगता ।

लेकिन ऊंचाई से गिरते-पड़ते पानी के रास्ते में बड़े-बड़े चट्टानों से टकराने के कारण पानी का रंग-ढंग बदल जाता है और मनमोहक आवाज सुनाई देती है जो मन को प्रफुल्लित कर देती है।

दशम जलप्रपात में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है-

  • दशम जलप्रपात आने वाले पर्यटकों को सख़्त हिदायत दी जाती है कि वह जलप्रपात की तेज़ धारा में न नहाएं ।
  • दशम फॉल में पर्यटकों को विशेष सावधानी की सलाह दी जाती है क्योंकि ये जलप्रपात बहुत ही ऊंची से गिरती है और वहाँ जाना बहुत ही खतरनाक हो सकता है। 
  • हां, फॉल के गिरने के बाद जब वह आगे बढ़ता है तो इसमें स्नान किया जा सकता है। 
  • पानी के वेग से चट्टानों के बीच अनेक खतरनाक गड्ढे बन गये हैं, जो पानी से ढंके होने के कारण दिखते नहीं हैं और जहां जाना जानलेवा साबित हो सकता है। 
  • दशम फॉल से निकला पानी आगे करीब 50-60 मीटर जाने के बाद समतल नदी का रूप ले लेता है। 

 निष्कर्ष:-

आइए आज के इस Article में हम ने बताया कि - दशम फॉल कहां है?, दशम फॉल का नाम दशम कैसे पड़ा ?, दशम जलप्रपात में क्या सावधानी बरतना बेहद जरूरी है?

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Sudarshaan

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